What Does Shodashi Mean?
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दिव्यौघैर्मनुजौघ-सिद्ध-निवहैः सारूप्य-मुक्तिं गतैः ।
वास्तव में यह साधना जीवन की एक ऐसी अनोखी साधना है, जिसे व्यक्ति को निरन्तर, बार-बार सम्पन्न करना चाहिए और इसको सम्पन्न करने के लिए वैसे तो किसी विशेष मुहूर्त की आवश्यकता नहीं है फिर भी पांच दिवस इस साधना के लिए विशेष बताये गये हैं—
चक्रेशी च पुराम्बिका विजयते यत्र त्रिकोणे मुदा
प्राण प्रतिष्ठा में शीशा टूटना – क्या चमत्कार है ? शास्त्र क्या कहता है ?
ह्रीं ह स क ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं
यत्र श्री-पुर-वासिनी विजयते श्री-सर्व-सौभाग्यदे
यह शक्ति वास्तव में त्रिशक्ति स्वरूपा है। षोडशी त्रिपुर सुन्दरी साधना कितनी महान साधना है। इसके बारे में ‘वामकेश्वर तंत्र’ में लिखा है जो व्यक्ति यह साधना जिस मनोभाव से करता है, उसका वह मनोभाव पूर्ण होता है। काम की इच्छा रखने वाला व्यक्ति पूर्ण शक्ति प्राप्त करता है, धन की इच्छा रखने वाला पूर्ण धन प्राप्त करता है, विद्या की इच्छा रखने वाला विद्या प्राप्त करता है, यश की इच्छा रखने वाला यश प्राप्त करता है, पुत्र की इच्छा रखने वाला पुत्र प्राप्त करता है, कन्या श्रेष्ठ पति को प्राप्त करती है, इसकी साधना से मूर्ख भी ज्ञान प्राप्त करता है, हीन भी गति प्राप्त करता है।
She's depicted by using a golden hue, embodying the radiance of your growing Sunlight, and is frequently portrayed with a 3rd check here eye, indicating her knowledge and Perception.
The iconography serves being a focus for meditation and worship, making it possible for devotees to connect Together with the divine Electricity with the Goddess.
॥ अथ श्री त्रिपुरसुन्दरीवेदसारस्तवः ॥
Around the fifth auspicious working day of Navaratri, the Lalita Panchami is celebrated given that the legends say this was the working day once the Goddess emerged from fire to kill the demon Bhandasura.
The reverence for Tripura Sundari transcends mere adoration, embodying the collective aspirations for spiritual development and also the attainment of worldly pleasures and comforts.
The Goddess's victories are celebrated as symbols of the ultimate triumph of fine above evil, reinforcing the ethical fabric with the universe.
It is generally identified that wisdom and prosperity tend not to stay collectively. But Sadhana of Tripur Sundari gives equally and also gets rid of illness along with other ailments. He hardly ever goes beneath poverty and gets to be fearless (Shodashi Mahavidya). He enjoys all the worldly joy and gets salvation.